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सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय की सफलता, दौलत और विवादों की कहानी

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 75 वर्ष के थे. कंपनी ने कहा कि उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बयान के अनुसार, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज सहित विभिन्न बीमारियों से लंबे समय से जूझ रहे रॉय का दिल का दौरा पड़ने के कारण रात साढ़े 10 बजे निधन हो गया. सुब्रत रॉय की कहानी किसी परिकथा जैसी लगती है. एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले रॉय ने  शून्य से शिखऱ तक तक का सफर तय किया हालांकि फिर उन्हें जमीन पर आने में भी देर नहीं लगी.

2000 से 2,59,900 करोड़ तक सफर
बताया जाता है कि रॉय ने कभी सिर्फ 2000 रुपये से अपना करियर शुरू किया था और आगे चलकर उनकी कुल शुद्ध संपति 2,59,900 करोड़ तक पहुंच गई. सुब्रत रॉय ने 1978 में वित्त में काम करने वाली एक छोटी कंपनी के रूप में सहारा इंडिया परिवार की शुरुआत की. अगले कुछ वर्षों में ग्रुप ने रियल एस्टेट, मीडिया और मनोरंजन, हॉस्पिटैलिटी, एविएशन और कई विभिन्न क्षेत्रों में अपने ऑपरेशंस का विस्तार किया. निवेशकों और ग्राहकों के विशाल नेटवर्क के साथ सहारा भारत में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक बन गया. एक समय पर माना जाता था कि सहारा ग्रुप भरातीय रेलवे के बाद सबसे अधिक नौकरी देने वाला ग्रुप है. दावा किया गया कि सहारा में करीब 12 लाख लोग रोजगार पा रहे हैं. बिक्रित नहीं हुए सोफे लगभग मुफ्त में वितरित किए जा रहे हैं साल 2001 से 2013 तक सहारा ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा. उनका एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट एंबी वैली भी खासा चर्चित रहा, जो महाराष्ट्र में लोनावाला के पास है.

दिग्गजों के साथ दोस्ती, शानो-शौकत से भरा जीवन
सुब्रत राय की गिनती देश की सेलिब्रिटीज में होती थी. उनके खास दोस्तों में राजनीति और बॉलिवड की दिग्गज हस्तियां शामिल थीं. सुब्रत रॉय का जीवन शानौ-शौकत से भरा था. 2004 में उनके दोनों बेटों की शादी खासी चर्चित रही थी. दोनों बेटों की शादी का जश्न करीब एक पखवाड़े तक मनाया गया. राजनीति, बॉलिवुड, खेल जगत की बड़े-बडे नाम इसमें शामिल हुए.

विवादों से नाता
सुब्रत रॉय और सहारा समूह को वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित कानूनी परेशानियों और विवादों का सामना करना पड़ा. उन पर दो कंपनियों में नियमों के खिलाफ लोगों से करोड़ों रुपये निवेश करवाने का आरोप लगा. इस मामले में उन्हें दो साल तक जेल में रहना पड़ा था. सेबी ने 2011 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था. नियामक ने फैसला दिया था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा था, जिसमें दोनों कंपनियों को निवेशकों से लिए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए कहा गया था.
अंततः सहारा को निवेशकों को रिफंड के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया. हालांकि समूह ने हमेशा कहा कि यह ‘दोहरा भुगतान’ है क्योंकि वह पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को रकम सीधे वापस कर चुका है.

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