दुर्ग

जंगली हाथियों से कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाकर रखें और जंगली हाथियों की फोटो और सेल्फी ना ले

डीएफओ श्री चूड़ामणि सिंह ने घटना स्थल पहुंचकर ग्रामवासी को तत्काल मुआवजा राशि दिलाने अधिकारियों को निर्देशित किया

जिलाभर की सीमावर्ती वन क्षेत्र में स्थानीय अमला की लगाई गई है ड्यूटी

उड़नदस्ता दल द्वारा स्थानीय अमला के साथ उक्त क्षेत्रों का किया जा रहा सतत् निरीक्षण, भ्रमण

अपराधों के रोकथाम के लिए अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी

कवर्धा, 02 नवम्बर 2022। 31 अक्टूबर 2022 की रात लगभग 2 बजे 6 हाथियों का दल खुड़िया परिक्षेत्र, वन मण्डल मुंगेली, जिला मुंगेली से वन मण्डल कवर्धा अंतर्गत पंडरिया पूर्व परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 490 एवं 486 ग्राम भुतकछार में आ गया था जो रात्रि में ही गुढ़ा ग्राम के रास्ते चतरी परिसर के कक्ष क्रमांक 525 से होते हुए भूतईटोला, झिंगराडोंगरी, बिरबाह, कुल्हीडोंगरी, पिपरहा एवं जामुनपानी के आस-पास विचर रहा था। 01 नवंबर को सवेरे कक्ष क्रमांक 506 नरसिंगपुर परिसर से कोंडा डोंगरी के पास कक्ष क्रमांक 512 के आस-पास था। अंतिम सूचना मिलने तक हाथियों का दल वहीं पर विचरण कर रहा था। 31 अक्टूबर को उक्त हाथियों के दल के द्वारा ग्राम गुढ़ा ग्राम पंचायत रवन मंझोली के पास सुकवारा बाई पति घासी गोंड के पम्पहाऊस का दीवार तथा एक नग खाट को तोड़कर क्षति पहुंचाया गया। इसी प्रकार सुशीला बाई पति सीताराम गोंड एवं दुखू पिता नत्थू सिंह गोंड के खेतों में हाथियों द्वारा चलने से धान के फसल की क्षति हुई है। घटना की सूचना मिलते ही वनमण्डलाधिकारी श्री चूड़ामणि सिंह (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी, कवर्धा वनमण्डल तत्त्काल घटना स्थल पहुंचे और उपस्थित अधिकारियों को हाथियों के द्वारा पहुंचाए गए फसल एवं मकान की क्षति का मुआवजा संबंधित ग्रामवासी को तत्काल दिलाए जाने के लिए निर्देशित किया गया।
वनमण्डलाधिकारी श्री चूड़ामणि सिंह ने बताया कि जिलाभर के सीमावर्ती वन क्षेत्र में स्थानीय अमला की ड्यूटी लगी है। वनमण्डल के उड़नदस्ता दल के द्वारा स्थानीय अमला के साथ उक्त क्षेत्रों का सतत् निरीक्षण, भ्रमण किया जा रहा है। सम्बंधित गांव में मुनादी, प्रचार-प्रसार, जागरूकता तथा मीडिया के माध्यम से एडवाजरी जारी कर वन्यप्राणी हाथी से बचाव एवं वस्तुस्थिति नियंत्रण बाबत् प्रयास कवर्धा वन मण्डल कवर्धा द्वारा किया गया है।

वनमंडल द्वारा जारी की गई एडवाईजरी

वनमंडल द्वारा आमजनों की सुविधा के लिए अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं और मुख्यालय में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। आमजनों से अपील करते हुए कहा गया है कि जंगली हाथियों से कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाकर रखें और जंगली हाथियों की फोटो और सेल्फी नहीं ले।

अपराधों के रोकथाम के लिए अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी

कवर्धा वन मंडल कार्यालय के द्वारा वन अपराधों की रोकथाम के लिए सभी अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं। वन मंडल के कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर 7999326127, वन मंडल स्तरीय उड़नदस्ता के प्रभारी का 9907601521, अधीक्षक भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 9425245388, परिक्षेत्र अधिकारी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 9425558314, उप वनमंडल अधिकारी कवर्धा का 9425245388, परिक्षेत्र अधिकारी कवर्धा का 9589035132, परिक्षेत्र अधिकारी अधिकारी तरेगांव  6261578190 तथा परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम पंडरिया का 8770976735, उप वनमंडल अधिकारी पंडरिया का  9131029448, परिक्षेत्र अधिकारी पूर्व पंडारिया का 7987692792, उप वनमंडल अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7587055836, परिक्षेत्र अधिकारी सहसपुर लोहारा एवं परिक्षेत्र अधिकारी खारा का 9981367779 तथा परिक्षेत्र अधिकारी रेंगाखार का मोबाइल नंबर 9406324045 है। वन मंडल अधिकारी जिला कबीरधाम का संपर्क नंबर 9479144718 है।

क्या करें

हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दे। रात मे निकलना यदि आवश्यक हो जाए तो मशाल जलाकर झुण्ड मे शोर मचाते हुए निकले, सभी घरो के बहार पर्याप्त रौशनी करके रखे ताकी हाथी के आने से पहले ही दूर से पता चल जाए। अगर हाथी दिन मे गाव मे आ जाता है तो उससे पर्याप्त दूरी बना कर रखे, हाथी प्रभावित क्षेत्रो मे आवश्यक होने पर गावों मे रात्री मे दल बनाकर मशाल के साथ पहरा दे, हाथी द्वारा कान खड़े कर सूंड ऊपर उठाकर आवाज देना इस बात का संकेत है की वो आप पर हमला करने आ रहा है अतः आप तत्काल सुरक्षित स्थान पर चले जाए। यदि हाथी से सामना हो जाये तो तुरंत उसके लिए रास्ता छोड़े, पहाड़ी स्थानो मे सामना होने की स्तिथि मे पहाड़ी की ढलान की और दौड़े ऊपर की और नहीं क्योकि हाथी ढलान मे तेज गति से नहीं उतर सकता परन्तु चढाई चढ़ने मे वह दक्ष होता है, सीधे न दौड़ कर आड़े तिरछे दौड़े, कुछ दूर दौड़ने के पश्चात गमछा, पगड़ी, टोपी अथवा अन्य कोई वस्त्र फेक दें, ताकि कुछ समय तक हाथी उसमे उलझा रह सके और आपको सुरक्षित स्थान पर जाने का समय मिल जाए।
हाथियों के सूंघने की शक्ति प्रबल होती है अतः हवा की दिशा का ध्यान रखे, यदि हवा का बहाव हाथियों की तरफ से आपकी तरफ हो तो सुरक्षित दूरी मे रहा जा सकता है, परन्तु यदि हवा का बहाव आपकी और से हाथी की ओर जा रहा हो तो आपके लिए खतरा हो सकता है क्योकि हवा आपके शरीर की गंध हाथी तक आसानी से पंहुचा सकती है। वन विभाग द्वारा बताए गए सुरक्षा सम्बंधित निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करे। वन विभाग के कर्मचारियो का समय समय पर रेस्क्यू ऑपरेशन मे सहयोग करें व् किसी भी प्रकार की दखलंदाजी न करे। जनधन हानि होने की स्तिथि मे बदले की भावना से प्रेरित होकर हाथियों के पास न जाए बल्कि वन विभाग को सूचित कर मुआवजा राशि की प्रक्रिया करवाने मे सहयोग करे। हाथियों की सूचना यदि मिलती है तो अपने पड़ोस के गाँवों तथा क्षेत्र के रिश्तेदारों, दोस्तों इत्यादि को तत्काल सचेत करे ताकि वे भी उन क्षेत्रों मे न आए और अगर क्षेत्र मे है तो वह इलाका छोड़ सके। फसल कटाई के बाद खुद के खाने लिए संग्रहित अनाज को सुरक्षित स्थानों मे रखे। इसके लिए एक तहखानानुमा भण्डारण कक्ष का निर्माण किया जा सकता है जिसमे अनाज को प्लास्टिक के हवा टाइट बंद डिब्बो मे भरकर रखा जा सकता है जिससे अनाज की गंध हाथियों तक नहीं पहुचे। उनके सूंघने की शक्ति बहुत तेज रहती है। गाँव के नवयुवक स्वयं जागृत होकर अन्य लोगो को जागरुक कर सकते है। समय समय पर जागरूकता के लिए वन विभाग के साथ ताल मेल बनाकर चले। समय समय पर स्कूल के बच्चो को हाथियों से सम्बंधित जागरूकता का पाठ पढाएं, हमें तथा आने वाली पीढ़ियों को हाथियों के साथ रहना सीखना पड़ेगा, कैसे रहा जाए इसका इन तथ्यों का सन्देश दिया जाए। गाँव के मुखिया की मदद से जागरुकता अभियान चलाया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग हाथियों से सुरक्षा सम्बन्धित निर्देशों से अवगत हो सकें। खुद भी सुरक्षित रहे व बिना किसी नुकसान पहुचाएं हाथियों को भी अपने क्षेत्र मे स्वतंत्र रूप से सुरक्षित रहने दे।

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