वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की खरी… खरी… बेहूदा फिल्म आदिपुरूष का रूख भाजपा की ओर मोड़ा भूपेश बघेल ने
बेहूदा फिल्म आदिपुरूष का रूख
भाजपा की ओर मोड़ा भूपेश बघेल ने
संहिष्णु, उदार और कुछ हद तक कायर हिंदुओं की भावनाओं से फिर एक बार खिलवाड़ करते हुए फिल्म आदिपुरूष बनादी गयी। हां इसका विरोध देखते हुए अब ये कहा जा सकता है कि फिर भविष्य में शायद ऐसी हिमाकत कोई न करे। विरोध का स्तर इतना है कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसका घोर विरोध किया है। हालांकि इस फिल्म पर बैन लगाने से उन्होंने इन्कार कर दिया और कहा कि केन्द्र सरकार बैन करे। लेकिन फिल्म में भगवान राम को और माता सीता को जिस ढंग से प्रस्तुत किया गया है उस पर उन्होंने आपत्ति की है।
शाबाश स्वीडन…
स्वीडन जो अपनी रईसी में किसी से कम नहीं। ऐसे कई देश हैं जो अपनी संपन्नता और गुड गवर्नेस के लिये जाने जाते हैं। संपन्न होने के बावजूद इनके यहां मंत्रियों को कोई विशेष सुविधाएं नहीं मिलतीं। यूं तो वहां हर आदमी संपन्न और सुविधाजनक स्थिति में है। लेकिन किसी को भी कोई विशेष व्यवहार नहीं दिया जाता। सांसद और मंत्री आम आदमी की तरह बसों में चलते हैं। बाजार से आम आदमी की तरह सामानों की खरीद फरोख्त करते हैं।
शर्मनाक लूट
जबकि हमारे यहां यदि कोई बार विधायक बन गया तो उसकी पीढ़ियों के लिये ठसन बन जाती है। विधायक और बाद में पूर्व विधायक का ठप्पा हर जगह लगाकर रौब गांठा जाता है। और सरकार उसे जीवन भर पेंशन और अन्य सुविधाएं मुफ्त देती हैं। अगर वो दुबारा विधायक बना तो दूसरी बार की पेंशन अलग। इस तरह जितनी बार वो विधायक बनेगा उतनी बार की पेंशन अलग-अलग मिलती है। यदि सांसद बन गया तो सांसद की पेंशन भी उसमें जुड़ जाएगी। यानि वो अलग से मिलेगी। स्पष्ट शब्दों में क्रूरता और बेशर्मी से लूट मची है लूट।
पहलू में अमृत
एक कहानी सुनी जाती है कि भगवान राम-रावण युद्ध के समय एक समय बहुत से वानर मर गये और भगवान की सेना कम पड़ने लगी तो भगवान ने आकाश से अमृत वर्षा करवाई। तब आकाश से बरसने वाली अमृत की बूंदों से वानर सेना में नयी जान आ गयी। ऐसे में जो बूंदें धरती पर पड़ीं वहां पर पौधे उग आए जिन्हें अमृता कहा गया जिसे हम गिलोय के नाम से जानते हैं।
गरम तासीन की गिलोय को अमृता यूं ही नहीं कहा जाता। आयुर्वेद आचार्य कहते हैं कि गिलोय का सेवन करने वाला शख्स बूढ़ा नहीें होता और औसत आदमी से अधिक जीता है।
मक्खियों पर एक सर्वे किया गया तो आम तौर पर 35 दिन जीने वाली मक्खी गिलोय के सेवन से 85 दिनों तक जीवित रही।
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
उव 9522170700